Thursday, December 23, 2010

ख्वाब में एक शब पास क्या तुम रहे

ख्वाब में एक शब पास क्या तुम रहे
मुद्दतों तक मेरे होश फिर गुम रहे

दरमियाँ शर्म की एक दीवार थी
इस तरफ हम रहे, उस तरफ तुम रहे

बारिशें प्यार की इस कदर आ गयीं
भीगते हम रहे, भीगते तुम रहे

रात में ख्वाब का एक महल बन गया
सौ जनम तक मेरे साथ फिर तुम रहे

चाँद, जुगनू, सितारे, महक, चांदनी
उम्र भर बैठ कर ताकते हम रहे

Wednesday, December 1, 2010

तुम आ रही हो - २

मौसम बदला है अभी

तुम जैसी हवा हो गयी है थोड़ी सी चंचल
बारिश में धुले बालों में टंके हैं गुलाब
खुश्बुएं बंधी हैं आँचल में

तुम आओगी, छुओगी, पर पकड़ में नहीं आओगी
सुन पाऊंगा तुम्हारी हंसी
और बहके बहके कदमों की आहट भी

थोड़ी सी अटक जाओगी मुझ पर टंगी कमीज़ में
और उससे पकड़ कर जोर से हिला दोगी
तड़प कर रह जायेगी वो भी मेरी तरह

तुम चलोगी
और हिल जाएगा मेरा सब्र, मेरा वजूद
जमीन पर बिखरे सूखे पत्तों जैसे
उड़ चलेंगे तुम्हारे साथ
मेरे सपने और अरमान

तुम हंस पडोगी और बारिश का व्रत टूट जाएगा
मेरे चहरे पर गिरेंगी दो बूँदें
टप टप
और सालों से सूखी तपी धरती जैसा मन
मुस्कुरा देगा
भीग कर तुम में

छू छू कर देखेगा उस हर चीज़ को
जिसे छुआ है तुमने
तुम्हारे पैरों तले आई जमीन
तुमसे छू गए फूल
हर शाख, जिस पर ठहरी तुम पल भर को
हर चीज़ जो साथ उड़ा ले जानी चाही तुमने

मेरा मन चुन लेगा तुम्हारा हर निशान
जो बाकी बचेगा तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारे फिर से आने के इंतज़ार में

मौसम लौट जाएगा तुम्हारे साथ
फूल मुरझा जाएंगे
नमी गायब हो जायेगी
उड़ जायेगी कोयल
मैं रो पडूंगा !