Friday, October 7, 2011

तू आ रही है न?





पूरी दुनिया जैसे बन गयी है

खुशबू की बड़ी सी शीशी

और बदमाश, अल्हड़ तू

अपने में खोयी

जैसे भूल गयी है इसे खोल कर



या कि

सुकून जैसी बदली में

चुभा कर एक पिन

भाग चली है खिलखिलाती

मस्ती में डूबी तू

और भीग रहा हूँ मैं

तेरे जादू की बरसात में



या कि

मेरी दुनिया है

बड़ा सा ड्राइंग बोर्ड

और बाल खोले तू

सुबह सुबह

लम्बी खूबसूरत उँगलियों के ब्रश बनाकर

रंग भर रही है मेरी ज़िन्दगी में

तेरे होठों के सुर्ख रंग से रंगी हैं घर की दीवारें

तेरे दामन कि खुशबू में सराबोर आँचल

खिडकियों पर परदे बनकर

मुंह लग रहा है हवाओं के

बालों के रंग से सजी है सपनीली, खूबसूरत रात

तेरे गोरे बदन सा रंगा है चंदा

और फिर साँसों की खुशबू बसी है हवाओं में

तेरी साड़ी के सितारे सज गए हैं आसमान में

और तेरी आवाज़ सज गयी है

सन सन बहती हवा में



जाने क्या हुआ है

कि होश खो रहे हैं मेरे

सब्र छुड़ा रहा है हाथ

तेरे क़दमों की आहट

घुल गयी है मेरे दिल की धक धक में

कदम जाने कितने बेकरार हैं



सब कहते हैं की झूठ है ये बात

पर न जाने क्यों

दिल कहता है

कि तू चल पड़ी है

मेरी ओर



तू आ रही है न?







Thursday, June 2, 2011

वही वही वही!!!

तेइसवीं  मंजिल पर
फाइल से सरक कर
खिड़की से उड़ चले
कीमती कागज़ सा वक़्त
देखते देखते उड़ता चला जा रहा है
अपनी पकड़ से बाहर
अफ़सोस और निराशा
लाचार दिमाग
सिर्फ ये सोचता है कि
इसका डुप्लीकेट कैसे मिलेगा

जैसे पहाड़ के सर पर
हम सब के पैरों के बीच
लड़ता मचलता फ़ुटबाल है वक़्त
जो ज़रा से जोश में लगी लात से
लुढ़क चला है जिंदगी की पहाड़ी से नीचे
हमारी रफ़्तार और पकड़ से बहुत तेज़
नीचे नीचे और नीचे जाता
गुम होता वक़्त
पहाड़ी के ऊपर से
संभलकर झांकते बेबस हम सब
की अब खेल ख़त्म

जैसे समुद्र किनारे
रेत में बनाए घर में
लहर ने भर दिया हो पानी
बारिश में बहाई कागज़ की कश्ती
कुछ दूर चल कर जाए डूब
मेले के खेल में
डूब जाए पैसा और न निकले इनाम
फिर फिर याद आता है
वो वक़्त, वो स्कूल, वो दोस्त
और जिद कर बैठता है मन
वही वही वही !!!
पर क्या लौटेगा वक़्त?
हवा का एक झोंका आएगा
और खिड़की से उड़ा कागज़
वापस आ जाएगा
फिर खिड़की से?
गेंद हमारे दिल की सुनेगी
और न्यूटन को झुठला कर
फिर चढ़ जायेगी पहाड़
हमारा दिल रखने को?
रेत के किनारे का घर
बन जाएगा महल और हम सब खेलेंगे उसमें ?
बारिश में बहाई कश्ती
जा मिलेगी नदी में और फिर समुद्र में
उसमें बैठ घूमेंगे हम सात समंदर
और पांच महाद्वीप?
मेले के खेल में लगेगा अपना दांव
और वक़्त होगा हमारी मुट्ठी में?
मुश्किल है न ये सब?
पर फिर क्यों है यह जिद?
वही वक़्त, वही स्कूल, वही दोस्त
वही वही वही!!!

Thursday, May 26, 2011

क्यों नैन तुम्हारे भरे-भरे?



क्यों नैन तुम्हारे भरे-भरे?

चेहरा उतरा, तेवर मद्धम,
कोयल जैसी बोली भी कम,
संगीत कहाँ झरने जैसा?
हिरणी जैसी आँखें हैं नम
दिखलाओ, घाव जो हरे-हरे

क्यों नैन तुम्हारे भरे-भरे?

किस डगर चलीं तुम देर रात?
जा चुभी कहाँ विषभरी भरी बात?
पथ आयेंगे पथरीले भी
जन्मों तक चलना साथ साथ
उफ़! घाव पाँव में हरे-हरे

क्यों नैन तुम्हारे भरे भरे?

जब रोका, क्यों उस ओर गयी?
 जलती गलियों की ओर गयी
विषभरी दर्द की दुनिया में,
मीठी रजनी को छोड़ गयी
सुन्दर मौसम थे हरे-भरे

क्यों नैन तुम्हारे भरे भरे?

आ होठों से कांटे चुन लूँ
आंसू से तेरे पग धुल दूं
मखमल-मखमल, रेशम-रेशम
पांवों के तले धरती बुन दूं
जन्नत हो, जहां तू पाँव धरे

क्यों नैन तुम्हारे भरे-भरे?

Wednesday, May 25, 2011

गुलाबी सी लड़की

बहुत खूबसूरत गुलाबी सी लड़की
महकती ग़ज़ल गुनगुनाती सी लड़की

मेरी ज़िन्दगी में बिखरती-संवरती
वो चंचल परी, मुस्कुराती सी लड़की

 बड़े शोख मासूम अंदाज़ उसके
वो धोखे से आँचल हटाती सी लड़की

सुबह-शाम, दिन में, अँधेरे-उजाले
मोहब्बत के किस्से सुनाती सी लड़की

बड़ी उम्र सपनों में जिसको संवारा
हकीकत बनी, दिल लुभाती सी लड़की

कई ख्वाब दिल में सजीले-सुनहरे
बनाती सी लड़की, मिटाती सी लड़की

वो हंस दे तो बारिश का व्रत टूट जाए
वो रो-रो के दुनिया डुबाती सी लड़की

ग़ज़ल, खुशबुओं, बारिशों की सहेली 
हर एक शाम मौसम सजाती सी लड़की

सुनहली-सुनहली, रुपहली-रुपहली
सुबह-शाम लिखती, मिटाती सी लड़की 

चमक, चांदनी, चाँद, सूरज, सितारों
के जेवर पहनकर लजाती सी लड़की

उतरते सवेरे की रंगत में उंगली
डुबो पैर रंगती, लुभाती सी लड़की

ढली शाम पंजों पे उंचा उचक कर
दबे पाँव सूरज बुझाती सी लड़की
 
अँधेरा बुलाकर, सितारे सजाकर
हर एक शाम बिस्तर सजाती सी लड़की
 
ग़ज़ब अंग गोरा, गुलाबी-गुलाबी
अजब आग मुझमें जगाती सी लड़की
 
दहकता शरारा बदन आग जैसा
सबर को सताती, जलाती सी लड़की
 
महकती-दहकती, सताती-चिढ़ाती
नशीले से किस्से सुनाती सी लड़की
 
बहाने बनाकर, कहानी सुनाकर
मोहब्बत से दामन बचाती सी लड़की
 
महकते बदन के सभी राज़ कहकर
शरम में छिपी, मुस्कुराती सी लड़की
 
गरम गुनगुने प्यार की बारिशों में
संभालती, फिसलती, नहाती सी लड़की
 
बहुत प्यार के सागरों में नहाकर
गरम नींद में डूब जाती सी लड़की