Thursday, December 23, 2010

ख्वाब में एक शब पास क्या तुम रहे

ख्वाब में एक शब पास क्या तुम रहे
मुद्दतों तक मेरे होश फिर गुम रहे

दरमियाँ शर्म की एक दीवार थी
इस तरफ हम रहे, उस तरफ तुम रहे

बारिशें प्यार की इस कदर आ गयीं
भीगते हम रहे, भीगते तुम रहे

रात में ख्वाब का एक महल बन गया
सौ जनम तक मेरे साथ फिर तुम रहे

चाँद, जुगनू, सितारे, महक, चांदनी
उम्र भर बैठ कर ताकते हम रहे

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